भूमिकाएँ और जिम्मेदारियाँ
डीडीजी (बागवानी) परियोजना के नियंत्रण अधिकारी और परियोजना समन्वयक, परियोजना के सीईओ होते हैं। पीसी की भूमिका भाकृअनुप-के. आ.अनु.स के निदेशक और विभागाध्यक्षों के साथ-साथ एसएयू और एआईसीआरपी केंद्रों के अनुसन्धान निदेशक और प्रभारी वैज्ञानिकों के साथ समन्वय करने की होती है जिससे आलू अनुसंधान एवं विकास के प्रमुख मुद्दों के समाधान के लिए उत्कृष्ट तकनीकी कार्यक्रम विकसित किया जा सके । वह उपरोक्त के आधार पर तकनीकी कार्यक्रम का मसौदा तैयार करते है और तकनीकी कार्यक्रम पर चर्चा और अंतिम रूप देने के लिए एक बैठक का आयोजन करते है। वह तकनीकी कार्यक्रम के निष्पादन का कार्य भी संभालते है। वह संचालित परीक्षणों के परिणामों को भी संकलित करते है और बैठक में विचार-विमर्श और अंतिम रूप देने के लिए अनुशंसा सम्बन्धी मसौदा तैयार करते है।
पीआई: भाकृअनुप-के.आ.अनु.सं के संभागाध्यक्ष को सामान्य रूप से परियोजनाओं के पीआई के रूप में नियुक्त किया जाता है। हालांकि, भाकृअनुप-के.आ.अनु.सं या एआईसीआरपी केंद्र के किसी भी वैज्ञानिक को किसी विशेष परियोजना के पीआई के रूप में नामित किया जा सकता है। पीआई की भूमिका तकनीकी कार्यक्रम को अंतिम रूप देने और विभिन्न वर्षों / स्थानों के परिणामों को संकलित करने और अनुशंसा प्रदान करने की होती है।
निगरानी दल: विभिन्न एआईसीआरपी केंद्रों पर परीक्षणों की प्रभावी निगरानी के लिए, एक निगरानी दल का गठन किया जाता है, जो केंद्रों का दौरा करती है और पीसी को, किए गए प्रयोगों, फसल की हालत, प्रयोग की गुणवत्ता, संचालन की समय-सीमा इत्यादि पर अपनी रिपोर्ट देती है। हालांकि, निगरानी दल का गठन अनिवार्य नहीं है।