अनुसंधान गतिविधियां
कार्यक्रम 1: उन्नत किस्मों का विकास
उद्देश्य
- गहन फसल प्रणाली में स्थापित करने के लिये प्रारम्भिक और मुख्य रोपण हेतु उप्युक्त जल्द स्थूलन एवं कम अवधि वाली किस्मों (60-75 दिनो) का विकास करना |
- पिछेता झुलसा प्रतिरोधक एवं अच्छी भंडारण वाली मध्यम परिपक्वता (75-90 दिन) एवं अधिक उपज प्रदान करने वाली किस्मों का विकास |
- पिछेता झुलसा प्रतिरोधक एवं अच्छी भंडारण वाली, विशेषतः लाल त्वचा वाले कंद सहित मध्यम परिपक्वता (75-90 दिन) एवं अधिक उपज प्रदान करने वाली किस्मों का विकास |
- नई किस्मों की उत्पादन प्रौद्योगिकी एवं बेहतर अग्रिम चरण संकर का विकास |
- प्रसंस्करण एवं निर्यात के लिए उप्युक्त आलू उत्पादन की किस्मों एवं उत्पादन प्रौद्योगिकी विकसित करना |
- आवर्तक प्रजनन के माध्यम से पिछेता झुलसा के प्रति मध्यम प्रतिरोधक क्षमता, उच्च प्रजातियों, जल्द स्थूलन वाली किस्म एवं टीपीएस का विकास
- आबादी के जल्द स्थूलन एवं सहिष्णुता का मूल्यांकन
- कम प्रकाश अवधि वाले दिनो में पैदा होने वाली परिस्थितियों में टीपीएस आनुवंशिकी का चयन |
- समरूपता के लिए डाइहैप्लाइडी का दोहन
- बजट आवंटित: रु 639.0 लाख
कार्यक्रम 2: आलू के सुधार में जैव प्रौद्योगिकी
उद्देश्य
- आलू में ठंड के कारण आने वाली मिठास में कमी लाने के लिए आलू ट्रांसजेनिक का विकास।
- आलू का जीनोम अनुक्रमण और रोगजनकों एवं संरचनात्मक जीनोमिक्स पर अध्ययन।
- ट्यूबराइजेशन और पिछेता झुलसा प्रतिरोध के संदर्भ में आलू के कार्यात्मक जीनोमिक्स पर अध्ययन।
- जंगली प्रजातियों का उपयोग करके कायिक संकर आलू का उत्पादन।
- बजट आवंटित: रु. 3569.5 लाख
कार्यक्रम 3: आलू जर्मप्लाज्म का प्रबंधन और वर्धन
उद्देश्य
• किस्मों, पितृवंशिक रेखाओं, जंगली और अर्ध-संवर्धित प्रजातियों सहित आवश्यकता आधारित जर्मप्लाज्म का संग्रह।
• कायिक प्रसार के माध्यम से जर्मप्लाज्म का सत्य बीज के रूप में और इन विट्रो में संरक्षण, ।
•जर्मप्लाज्म का रूपात्मक और आणविक निरूपण।
• शीघ्र रोपण, पिछेता झुलसा, बैक्टीरियलविल्ट, आलू कंदकीट, हॉपरबर्न एवं घुन, कवचधारी सूत्रकृमि, एवं स्टेमनेक्रोसिस, विषाणु आदि जैसे जैविक एवं अजैविक तनावो के प्रति अनुकूलन क्षमता, प्रसंस्करण गुणवत्ता और प्रतिक्रिया के लिये संग्रह का मूल्यांकन।
•पुनः प्राप्त योग्य रूप में डाटा का प्रलेखन और कम्प्यूटरीकरण।
•ट्यूबरोसम और इंडीजन जर्मप्लाज्म की आनुवंशिक वृद्धि।
•बजट आवंटित: रु 567.7 लाख
कार्यक्रम 4: आलू आधारित फसल प्रणालियों के लिए संसाधन प्रबंधन रणनीति और सूचना प्रौद्योगिकी उपकरण
उद्देश्य
•विभिन्न आलू आधारित फसल प्रणालियों का मूल्यांकन एवं संसाधन प्रबंधन रणनीति का विकास ।
- कम उत्पादकता वाले क्षेत्रों में आलू की उत्पादकता को बनाए रखने के लिए संसाधन प्रबंधन रणनीति का विकास।
- आधुनिक अणुओं और शाकनाशियों का मूल्यांकन और आलू के लिए एकीकृत खरपतवार प्रबंधन पद्धति का विकास ।
- आलू फसल अनुसूचन के लिये निर्णयन समर्थ उपकरण का विकास |
- आलू में पोषक तत्व और जल प्रबंधन के लिए निर्णय समर्थन उपकरणों का विकास और शोधन।
- उत्पादन प्रणालियों के प्रभावी लक्ष्यीकरण के लिए आईटी उपकरणों का उपयोग।
- निर्णय समर्थन प्रणाली / उपकरण एवं डाटा बेस का विकास और उन्हे वेब सक्षम बनाना।
- रिमोट सेंसिंग और जीआईएस (अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, इसरो, अहमदाबाद के सहयोग से) की सहायता से आलू के क्षेत्रफल एवं उत्पादन का अनुमान लगाना।
- बजट आवंटित: रु 815.0 लाख
कार्यक्रम 5: पिछेता झुलसा का प्रबंधन
उद्देश्य
• जैविक और आणविक मार्करों का उपयोग करते हुए पी इन्फेस्टेन की संरचना और गतिशीलता का अध्ययन।
• बीज कंदों में सुप्त संक्रमण और मिट्टी में इनोकुलम का निर्धारण और इसकी मात्रा का मापन।
• जलवायु परिवर्तन के तहत पिछेता झुलसा महामारी का अध्ययन।
• पूर्वानुमान मॉडल और निर्णय समर्थन प्रणालीद्वाराकवकनाशी, वनस्पति और जैव-एजेंटों के उपयोग के माध्यम से रोग का प्रबंधन।
·भारतीय पर्वतीय क्षेत्रों और पठारी क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त मध्यम परिपक्वता के साथ उच्च उपज देने वाली, पिछेता झुलसा प्रतिरोधी जीनोटाइप का प्रजनन और चयन करना ।
• विभिन्न रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले पैतृक रेखाओं का विकास।
• मार्कर सहायक चयन से जीन पिरामिडिंग करना ।
• बजट आवंटित: 1517.1 लाख रुपये ।
कार्यक्रम 6: पारंपरिक और उच्च तकनीक प्रणाली के माध्यम से आलू के प्रजनन बीज का उत्पादन
उद्देश्य
• मेंरिस्टेम टिप संवर्धन के माध्यम से वाणिज्यिक किस्मों के विषाणु मुक्त बुनियादी सामग्री विकसित कर माइक्रोप्रोपेगेशन द्वारा इसके रखरखाव और उत्पादन के लिए एलिसा, पीसीआर द्वारा परीक्षण करना।
• विभिन्न विषाणुओं के खिलाफ कंद अनुक्रमण के माध्यम से रोग मुक्त क्लोनों का चयन करना, बीज फसल का गुणन और निरीक्षण करना।
• राष्ट्रीय बीज उत्पादन कार्यक्रम में शामिल आलू की खेती के लिए रोग मुक्त नाभिक और प्रजनक बीज स्टॉक का उत्पादन और आपूर्ति करना ।
•ऊतक संवर्धन बनाम पारंपरिक बीज कंदों से उगाई गई फसल की तुलना।
• फसल के मौसम के दौरान बीज आलू की फसल में एफिड आबादी की निगरानी ।
• भारत के विभिन्न आलू उत्पादक क्षेत्रों में वायरस की रूपरेखा।
• खेत स्तर पर बीज आलू की फसल में मिट्टी और कंद जनित रोगों का प्रबंधन (ब्लैक स्कर्फ एवं कॉमन स्कैब ) ।
• उच्च तकनीकी बीज आलू उत्पादन प्रणाली के दौरान फिनोटाइपिक परिवर्तनों पर अध्ययन।
• बीज आलू की फसल के जल्दी रोपण के लिए संभावनाओं की खोज।
• एरोपोनिक बीज आलू उत्पादन के लिए तकनीकों का मानकीकरण।
• एरोपॉनिक विधि से उत्पादित बीज कंदों के क्षेत्र प्रदर्शन पर अध्ययन।
• एरोपोनिक विधि से उत्पादित बीज कंद के भंडारण व्यवहार पर अध्ययन।
• सूक्ष्म -प्रसार के लिए खेती विशिष्ट माध्यम को मानकीकृत करना और विवो गुणन के दौरान इसके प्रभाव का अध्ययन करना।
• सूक्ष्म पौधों और सूक्ष्मकंदो की विवो स्थापना को बढ़ाने के लिए कार्यप्रणाली का मानकीकरण करना।
• सूक्ष्मजीवियों के पेलटिंग, प्राइमिंग, सुप्तावस्था को ख़त्म करने और भंडारण के लिए कार्यप्रणाली को मानकीकृत करना और जी 0 में <3 जी सूक्ष्म कन्दो के अनुपात को कम करना।
• बजट आवंटित: रु 2040.2 लाख।
कार्यक्रम 7: पोषक तत्व और जल प्रबंधन
उद्देश्य
- नमूना विश्लेषण के आधार पर आलू की बढ़ते क्षेत्र में उपलब्ध पोषक तत्वों के स्थानिक नक्शे विकसित करना। पोषक सामग्री और उनकी मान्यता के आधार पर उपयुक्त भू-सांख्यिकीय उपकरण का उपयोग कर विकसित मानचित्रों का वर्गीकरण करना ।
- आलू उगाने वाले क्षेत्रों में पोषक तत्वों की कमी को दूर करने और पोषक तत्वों के असंतुलन और कमियों का पूर्वानुमान लगाने और क्षेत्र विशिष्ट प्रबंधन रणनीति की सिफारिश करने के लिए पोषक तत्व प्रबंधन मानचित्र तैयार करना।
- आलूकी महत्वपूर्ण पत्ती में पर्णहरित, नत्रजन की मात्रा और कंद उपज के बीच संबंध स्थापित करना। पर्णहरित सामग्री सूचकांक और पत्ती रंग चार्ट के आधार पर वास्तविक नत्रजन प्रबंधन का विकास करना।
- फोस्फोरस एवं पोटाश की कमियों को दूर करने और मिट्टी से इन पोषक तत्वों के क्षरण से बचने के लिए एन, पी और के उर्वरकों की आवश्यकताओं को निर्धारित करने हेतु ओमिशन प्लॉट तकनीक का उपयोगकरना ।
• उत्तरी मैदानों के लिए पोषक तत्वो एवं पानी उपयोग दक्ष जर्मप्लाज़्म संग्रह और अग्रिम प्रजनन लाईनों की पहचान कर कुशल पैतृक लाइनों को विकसित करना।
• आलू में नत्रजन, फोसफोरस व पोटाश की उपयोग दक्षता जानने के लिए विभिन्न प्रजातियों की जड़ों का अध्ययन करना।
• आलू में सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों की तुलना करना।
• आलू की प्रजाति और विकास अवधि विशिष्ट पानी की आवश्यकता का अध्ययन करना।
• वर्षा आधारित पहाड़ी परिस्थितियों में पानी के तनाव को कम करने के लिए फिल्म होल विधि और पोटाश की भूमिका के माध्यम से पानी के उपयोग की दक्षता में वृद्धि।
• बजट आवंटित: रु 390.7 लाख
कार्यक्रम 8: आलू में उपोष्णकटिबंधीय वातावरण में गर्मी और पानी के तनाव के प्रबंधन में दैहिक और आनुवंशिक आयाम
उद्देश्य
• नई आलू किस्मों में ताप सहिष्णुता जो कि कुफरी सूर्या से कम से कम 20 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो, प्रदान करना ।
• सूखा सहिष्णुता प्रदान करना ताकि विकसित किस्मों में उच्च जल उपयोग दक्षता हो और तुलनात्मक कंद उपज के लिए कम से कम 25% पानी को बचाया जा सके।
• गर्मी और सूखे के तनाव में अधिकतम उत्पादकता को प्राप्त करने के लिए कृषि प्रथाओं का विकास करना।
• बजट आवंटित: रु 353.7 लाख
कार्यक्रम 9: आलू के रोगजनकों का आणविक लक्षण वर्णन, पहचान और प्रबंधन
उद्देश्य
• आलू केप्रमुख रोगजनकों ((रालस्टोनिया सॉलनैयरम, अल्टरनेरिया स्पीलिज, राइजोक्टोनिया सोलानी, फुसैरियम एसपीपी ( सफेद मक्खियाँ और थ्रिप्स ) और आलू के कीट का संग्रह और आणविक लक्षण वर्णन करना।
• रोगजनकों के जीनोम विकास पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव।
• विषाणु संबंधी बीमारियों और पिछेता झुलसा के लिए मुख्य-रोगज़नक़ सम्बद्ध अध्ययन ।
·प्रमुख आलू रोगजनकों का पता लगाने के लिए नैदानिक उपकरणों का मानकीकरण।
• आलू विषाणु और एंटीसेरा उत्पादन का बड़े पैमाने पर उपयोग।
• एलिसा, आरटी-पीसीआर, एनएएसएच, इम्यूनो इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (आईईएम), और रियल टाइम पीसीआर का उपयोग करके क्षेत्र के नमूनों, ऊतक संवर्धित सामग्री और जर्मप्लाज्म में विषाणुओं का पता लगाना और निदान करना ।
·नई जारी भारतीय आलू की किस्मों को विषाणु मुक्त करने के लिये स्क्रीनिंग मेंरीक्लोन्स करना।
• विभिन्न विषाणु के प्रतिरोध हेतु आलू जर्मप्लाज्म की स्क्रीनिंग।
• आयातित जर्मप्लाज्म का पश्च-प्रवेश संगरोध परीक्षण।
• पिछेता झुलसा , बैक्टीरियल विल्ट और विषाणु के लिए प्रतिरोध को दर्शाने वाली जींस की क्लोनिंग करना।
• रूपांतरण के लिए प्रमोटर और जीन का क्लोन बनाना।
• पिछेता झुलसा , बैक्टीरियल विल्ट और विषाणु के लिए प्रतिरोधी ट्रांसजेनिक का विकास।
• बजट आवंटित: रु 776.0 लाख
कार्यक्रम 10: आलू उत्पादन में दीर्घकालिक खाद / उर्वरक अनुप्रयोग और जैविक खेती पर पोषक तत्व गतिकी अध्ययन
उद्देश्य
• तीन उत्कृष्ट आलू आधारित फसल प्रणालियों में स्थायी फसल उत्पादन पर जैविक खाद, फसल अवशेष और अकार्बनिक उर्वरकों के अनुप्रयोग के प्रभाव का अध्ययन करना।
• आलू के उत्पादन में जैविक खेती के विभिन्न आयामों और मिट्टी की उर्वरता, रोग/ कीट संक्रमण और माइक्रोबियल आबादी पर उनके प्रभाव का अध्ययन करना।
• कंद गुणवत्ता पर जैविक उत्पादन के दीर्घकालिक प्रभाव का अध्ययन करना।
• मृदा गुणों, कीट जटिलता और मृदा सूक्ष्म वनस्पतियों और आलू आधारित फसल प्रणाली पर जैविक खाद, फसल अवशेष और अकार्बनिक उर्वरकों के अनुप्रयोग प्रभाव का अध्ययन करना।
• मिट्टी और उपज में कीटनाशक अवशेषों का अध्ययन ।
• बजट आवंटित: 275.0 लाख रुपये
कार्यक्रम 11: आलू भंडारण गुणवत्ता में सुधार के लिए कुशल और पर्यावरण अनुकूल विधि
उद्देश्य
• आलू में लंबे समय तक रहने वाली सुप्तावस्था और अंकुरण अवरोध के लिए पर्यावरण के अनुकूल यौगिकों की पहचान।
• प्रशीतित और गैर-प्रशीतित भंडारण के तहत सामान्य और प्रसंस्करण आलू मेंं अवशेष मुक्त अंकुर दमन का उपयोग।
• सुप्तावस्था और अंकुरण से जुड़े दैहिक और जैव रासायनिक विशेषताओं और पौधे के विकास नियामकों में परिवर्तन की जांच करना।
• कंद जीवन चक्र के विभिन्न चरणों के दौरान विकास नियामकों और जैव रासायनिक विशेषताओं में परिवर्तन के बीच सहसंबंध।
•आलू केढेर और 12 डिग्री सेल्सियस पर आलू की बेहतर भंडारण और प्रसंस्करण गुणवत्ता के लिए फसल काटने पूर्व बायोमार्कर का प्रयोग
· आलू में कंद परिपक्वता से जुड़े जैव रासायनिक परिवर्तनों/ एंज़ाइमो का अध्ययन करना ।
• निर्यात के लिए आलू के परिवहन के दौरान अंकुरण निषेध और नुकसान को कम करने के लिए सीपीआईसी का उपयोग।
• बजट आवंटित: रु 311.25 लाख
कार्यक्रम 12: आलू के प्रमुख मृदा और कंद जनित रोगजनको की विशेषता, पहचान और प्रबंधन
उद्देश्य
- देश के विभिन्न आलू उत्पादन क्षेत्रों से रैल्स्टोनिया सोलानैक्रियम, स्ट्रेप्टोमाइसेस प्रजाति और राइजोक्टोनिया सॉलानी का संग्रह व संरक्षण जो बैक्टीरियम विल्ट, कॉमन स्कैब और आलू के ब्लैक स्कर्फ़ रोगों से संबंधित है।
- देश के विभिन्न हिस्सों से आर सोलनैकेरियम आइसोलेट की फ़ाइलोटाइप, रेस और बायोवर की पहचान करना ।
- स्ट्रेप्टोमाईसिज़ प्रजाति , जो आलू के सामान्य स्कैब से संबंधित है, कि पहचान और आणविक लक्षण वर्णन.
- देश के विभिन्न हिस्सों से राइजोक्टोनिया सोलानी के एनास्टोमोसिस समूह के आणविक मार्कर की विशिष्ट पहचान है।
- आर सोलानैसीरम द्वारा सुप्त संक्रमण की विश्वसनीय रूप से पहचान करने के लिए डीएनए डिटेक्शन टूल का मानकीकरण करना।
- आलू के प्रमुख कंद रोगों के प्रबंधन के लिए नए उत्पादों का विकास और मूल्यांकन करना।
- मिट्टी की नमी को विनियमित कर आलू के सामान्य स्कैब का प्रबंधन करना।
- व्यावसायिक रूप से उपलब्ध जैवनियंत्रक एजेंटों, जैव कीटनाशकों, सुरक्षित रसायनों और फसल अवशेषों के समावेश के साथ मिट्टी और बीज उपचार के माध्यम से प्रमुख कंद जनित रोगों का प्रबंधन करना।
- आलू के प्रमुख मिट्टी और कंद जनित रोगों के प्रबंधन के लिए कुशल और लागत प्रभावी कार्यक्रम विकसित करना।
- बजट आवंटित:520.77 लाख रुपये।
कार्यक्रम 13: संस्थान द्वारा विकसित आलू प्रौद्योगिकी का प्रभाव
उद्देश्य
·भारत में बीज-आलू विपणन और उपयोग का आकलन और किसानों की लाभप्रदता पर इसके निहितार्थ।
·आलू उत्पादकों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति और बेहतर आलू प्रौद्योगिकी के लिए उनके द्वारा प्रयुक्त प्रतिमानो का अध्ययन करना।
·चयनित आलू प्रौद्योगिकियों का आकलन करना और किसानों को खेत और प्रौद्योगिकी के प्रयोग में आ रहे अंतर की पहचान करना।
·आलू प्रौद्योगिकी के प्रसार के लिए विभिन्न विस्तार गतिविधियों को संयोजित करना।
·आलू प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए अपनाई गई विभिन्न विस्तार रणनीतियों के प्रभाव का मूल्यांकन करना
·बजट आवंटित: रु. 157.73 लाख
कार्यक्रम 14: जनसंख्या गतिकी और आलू में कीट प्रबंधन।
उद्देश्य
·प्रमुख आलू उगाने वाले क्षेत्रों में आलू कीट और कीटवाहक की निगरानी।
·सफेद सूंडी एवं मक्खी के लिये एकीकृत कीट प्रबंधन कार्यक्रम का विकास और परीक्षण।
·आलू के कीटों के खिलाफ जैवकीटनाशकों और हर्बल उत्पादों की प्रभाव का मूल्यांकन।
·आलू के कीटों के खिलाफ नए कीटनाशकयोगों के प्रभाव का मूल्यांकन।
·बजट आवंटित: रु 243.98 लाख
कार्यक्रम 15: आलू की खेती के लिए कृषि यंत्र
उद्देश्य
·छोटे किसानों के लिए औजार और मशीनों का विकास।
·आलू की खेती एवं श्रेणीकरण की कंबाइन हार्वेस्टिंग और मशीनों का डिज़ाइन एवं विकास करना।
·बीज आलू उत्पादन के लिए कृषि मशीनों और प्रणालियों का विकास करना।
·बजट आवंटन: 380.0 लाख रुपये
कार्यक्रम16: आलू सूत्र कृमिका प्रबंधन
उद्देश्य
- आलू के सिस्ट सूत्रकृमि और पिछेता झुलसा के संयुक्त प्रतिरोधक क्षमता के साथ उच्च उपज वाले आलू जीनोटाइप का प्रजनन और चयन करना।
- आलू सिस्ट सूत्रकृमि के प्रबंधन हेतु प्रभावी प्रबंधन पद्धतियों एवं फसल प्रणालियों का विकास
- बजट आवंटित: रु 175.63 लाख
कार्यक्रम 17: आलू और आलू उत्पादों का पोषक मान
उद्देश्य
·आलू आधारित खाद्य पदार्थों को बेहतर पोषण गुणवत्ता वाला बनाने के लिए पोषण पूरकता हेतु प्रयत्न करना।
·आलू आधारित खाद्य पदार्थों के ग्लाइसेमिक सूचकांक को कम करना।
· आलू और आलू के उत्पादों में पोषण और पोषण विरोधी यौगिकों की पहचान करना एवं पोषण-विरोधी यौगिकों के सेवन को कम करने सम्बंधी रणनीति तैयार करना।
·बेहतर पोषण गुण्वत्ता वाले फ्रोज़न आलू आधारित उत्पादों को तैयार करना |
·बजट आवंटित: रु 338.41 लाख